कॉलेज की मोहब्बत — क्लासरूम से दिल तक

 नमस्कार दोस्तों,

कभी–कभी मोहब्बत पढ़ाई से नहीं, क्लासरूम की एक नज़र से शुरू होती है।
वो जो हर लेक्चर में एक चेहरा ढूँढा करते थे —
अब वो चेहरा यादों में रहता है, साथ में नहीं...

आज की शायरी:

कॉलेज की पहली बेंच पर बैठा था मैं, और तू पीछे से मुस्कुरा रही थी चुपचाप। हर लेक्चर में किताब कम, तुझे ज़्यादा पढ़ा, और तू हर बार मेरी नज़रों से बच निकली। बेल बजती थी तो दिल भी धड़कता था, शायद तू बाहर गेट पे मिल जाए। पर किस्मत की क्लास में हम पास न हो सके, तेरी हँसी मिली... तेरा साथ नहीं।



💭 Reflection:
कई बार जो सबसे प्यारी मोहब्बत होती है —
वो पूरी नहीं होती... पर सबसे गहरी होती है।

📣 आपसे एक सवाल:
क्या आपकी कॉलेज की मोहब्बत अधूरी रह गई?
या वो अब भी आपके दिल में ज़िंदा है? 💬
कॉमेंट करें और शेयर करें अपने दिल की बात...


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