बारिश की खिड़की पे हाथ और यादों की परछाई

 By: Kaushik Ni Shayri

👋 नमस्कार दोस्तों,
जब बाहर बारिश हो रही हो और अंदर दिल भीग रहा हो...
तो यादें, खिड़कियों पर यूँ ही तस्वीरें बनाती हैं।

हम अक्सर कहते हैं — “वक़्त बीत गया”,
पर सच ये है कि कुछ अधूरी बातें कभी नहीं बीततीं।
वो खामोशी, वो नज़रों से गिरा आँसू, और वो सवाल जो कभी जवाब नहीं मांगते...

🖋️ आज की शायरी:

"ख़ामोशियों में जब आवाज़ ढूँढने लगे,
तो समझो दिल अब खुद से ही सवाल करता है..."

कभी–कभी जवाब ना मिलने का दुख उतना नहीं होता,
जितना खुद से सवाल करने का दर्द होता है।

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