जब ख़ामोशी बोलने लगे.

 कभी–कभी दिल इतना बोलता है कि ज़ुबान चुप हो जाती है।

और जब ज़ुबान चुप होती है, तब ख़ामोशी चीख़ बन जाती है...
ऐसी ही कुछ लफ़्ज़ों के बिना बोले एहसास आज की Shayari में:

💔 Shayari:


कभी कुछ कह नहीं पाए,  
बस निगाहों में सब था।  
ख़ामोशी में जो दर्द था,  
वो ज़ुबान से कब कहा था...

तू समझा ही नहीं ख़ामोशी को,  
शब्दों का ही इंतज़ार करता रहा,  
और मैं रोज़ मरती रही अंदर,  
तेरे एक सवाल का जवाब बनकर।






क्या आपने भी कभी किसी की ख़ामोशी में उसका दर्द सुना है?
👇 कमेंट में बताएँ... और इसे शेयर करें उस इंसान के साथ, जिसने आपकी चुप्पी को नहीं समझा...

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